उत्तराखंड राज्य गठन के लिए जिन शहीदों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी उन्हें शत शत नमन। लेकिन उनकी आत्मा सूबे की वर्तमान हालत को देखकर किस कदर रो रही होगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। बीते कई सालों से कोचिंग व दिन रात मोटी मोटी किताबों में अपना सर खपाकर पढकर दिन रात मेहनत कर रहे प्रदेश के युवाओं के सुनहरे भविष्य के सपने चकनाचूर हो रहे है।पेपर लीक मामला हो या विधानसभा में वक्त वक्त पर मर्जी की भर्ती या फिर वन दरोगाओं की भर्ती में फर्जीवाडे का मामला वेरोजगार युवाओं के लिए भारी नुकसान पंहुचाने वाला रहा है।
वर्तमान समय में व्याप्त आकंठ भष्टाचार पर गढ़ रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी जी का लगभग 25 साल पुराना गीत “मार ताणि आखिर दौ,पलि अपणा लगौलू रे…..तुम देखिदी रैया रे” एक बार फिर से चर्चा में है। नेगी दा की इस दूरदृष्ठता व जन भावनाओं के समाज के सामने लाने के लिए समूचा उत्तराखंड उनका दिल से आभारी रहेगा। यही कारण है कि वह भष्टाचारी राजनीतिज्ञों की आँखों में हमेसा खटकते रहे है। और विशेष योग्यता के बावजूद भी प्रतिष्ठतों पुरस्कार उनकी झोली मे अभी तक नहीं गिरे है।
आंकठ भष्टाचार में डूब रहे उत्तराखंड के बारे में गढरत्न नरेन्द्र सिंह नेगी का कहना है कि हर विभाग में एक हाकम सिंह बैठा है ताकि नेता और नौकरशाहो को भष्टाचार करने में सहूलियत हो सके।
वर्तमान समय में चल रहे घटनाक्रम से युवा बेराजगार हताश व निराश है। वही उनके परिजनों को अपने बच्चों के भविष्य की भारी चिन्ता सता रही है। प्रदेश में इस बढ़ते भ्रष्टाचार से आम जनता में भारी आक्रोश बढता जा रहा है। वही राज्य सरकार इस मामले में लीपा-पोती पर लगी हुई है। उत्तराखंड के जनमानस को कई बार यहां की गंदी राजनीति का दंश झेलना पडा है। सरकार भाजपा की रही हो या कांग्रेस की हर बार भ्रष्टाचार उच्च स्तर पर रहा है।यहां के राजनेताओं को प्रदेश की चिन्ता से ज्यादा अपनी कुर्सी की चिन्ता रहती है। क्योंकि इनके आका दिल्ली से फरमान जारी करते है।
यहां के राजनीतिज्ञों की उत्तराखंड के विकास के लिए की न तो कोई ठोस नीति है और न विकास करने की नीयत। उत्तराखंड के लगभग सभी विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री की सम्पत्ती राज्य गठन के बाद 10 गुना से अधिक बढ़ी है। इनमें दो चार नेता अपवाद हो सकते है। लेकिन अभी तक इनकी सम्पति पर आयकर विभाग द्वारा छापे नही मारे गये है,जो income Tax की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते है।वही समाज के सबसे पिछडे वर्ग की आय बीते 20 साल ज्यौं की त्यौ है वर्तमान समय में मंहगाई की दर इस कदर बड़ी है कि आम आदमी के परिवारिक खर्च पूरे नहीं हो पा रहे है। इस अखंड भष्टाचार के लिए आम जनता भी दोषी है जो सरकारों के चयन के वक्त शराब,चंद रूपये भाई भतीजे बाद में फंसकर गलत व्यक्ति का चुनते है जिनके कारण आज आम जनता को बुरे दिन देखने को मिल रहे है।
उत्तराखंड के युवाओं को पहले उम्मीद रहती थी कि फौज की नौकरी उन्हें मिल जायेगी।लेकिन अब वह उम्मीद भी धुमिल होती जा रही है। वर्तमान समय में आयोजित अग्निवीर भर्ती में मानकों को ताक पर रखकर जिस तरह से युवाओं के साथ भद्दा मजाक किया गया उससे अब लोगों का विश्वास राज्य सरकार के साथ साथ केन्द्र सरकार पर भी उठने लगा है। 300 युवाओं को एक साथ दौड़ना,5 मिनट 48 सेकेण्ड के दौड के समय को सिर्फ 5 मिनट तक सीमित करना और कीचड़ वाले मैदान में युवाओ दौडाना क्या सही है?
अब वह दिन दूर नहीं जब इस अत्याचार व भष्टाचार के खिलाफ एक बार फिर युवा सड़क पर उतरेंगे,और अपने हक को छीनकर लेंगे।