नबार्ड द्वारा महिला दिवस के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रम का आयोजन









नाबार्ड, उत्तराखण्ड क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया
गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक विनोद कुमार बिष्ट
की तथा विभा पुरी दास, पूर्व सचिव (सेवानिवृत्त), भारत सरकार ने
मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड
ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष हरिहर पटनायक, एसएलबीसी के समन्वयक नरेंद्र
रावत, राज्य सहकारी बैंक की उप महाप्रबंधक आकांक्षा कंडारी, नाबार्ड द्वारा
गठित स्वयं सहायता समूह, कृषक उत्पादक संगठनों की महिलाओं व नाबार्ड के
अधिकारियों व कर्मचारियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। इस
अवसर पर मुख्य अतिथि ने कृषक उत्पादक संगठन को मार्केटिंग के लिए
मोबाइल बिक्री वैन का उद्घाटन भी किया। राज्य में महिलाओं को सशक्त बनाने
व उनको घरेलू कार्यों से आर्थिक कार्यों की तरफ प्रेरित करने वाली विभिन्न
महिलाओं यथा- भावना शर्मा-अल्मोड़ा, चंद्रकला नौटियाल-चमोली, सुनीता
मुरारी-चंपावत, अंजलि सैनी-हरिद्वार, नीलम पंत- नैनीताल, रेखा जोशी-
पिथौरागढ़ को इस अवसर पर सम्मानित किया गया


मुख्य महाप्रबंधक विनोद कुमार बिष्ट ने अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में कहा
कि यह दिवस महिलाओं के योगदान, समर्पण तथा उनके द्वारा किए उपकारों को
सम्मान देने तथा उनके प्रयासों की प्रशंसा का है। महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना
परचम फहराया है। महिलाएं हर कार्य को बड़े ही आत्मीयता से करती है। साथ
ही वर्ष 2023 की थीम ‘डिजिट ऑल’ पर प्रकाश डालते हुए मुख्य महाप्रबंधक ने
कहा कि डिजिटल युग में महिलाओं को समान अधिकार व मौके दिए जाना न
केवल समय की मांग है बल्कि महिलाओं की उन्नति के लिए भी आवश्यक है।
साथ ही उन्होंने बताया कि नाबार्ड एफपीओ, वितीय साक्षरता, स्वयं सहायता
समूह, जेएलजी आदि परियोजनाओं के माध्यम से महिलाओं के लिए रोजगार
के अवसर सृजित कर उन्हें गृहिणी से उद्यमी बनाने में मदद कर रहा है।
मुख्य अतिथि विभा पुरी दास ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह दिवस हमें
अपने विचारों तथा समस्याओं पर चर्चा करने का सुनहरा मौका देता है। आज
महिलाएं जो हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है वो एक दिन में नहीं हुआ है। इसके पीछे
कई वर्षों का संघर्ष तथा कठिन यात्रा रही। महिलाओं के योगदान को केवल
आर्थिक आंकड़ो के रूप में देखने से महिलाओं के सही योगदान का पता नहीं
चलता बल्कि उनके अन्य कार्यों जिनके लिए उन्हें कोई पैसे नहीं मिलते को भी
उचित सम्मान देने होगा। साथ ही उनका मानना है कि महिलाओं को अपनी
समस्याओं को चुपचाप सहन नहीं करना चाहिए और न ही हार माननी चाहिए।
हर समस्या के प्रति अपने विचार रखने चाहिए ताकि जो उन्होंने सहा वो किसी
और को सहना न पड़े। उन्होंने आशा व्यक्त कि आने वाला युग महिलाओं का
होगा और महिलाओं द्वारा उन्नति के नए आयाम लिखे जाएंगे।
साथ ही इस अवसर पर उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष हरिहर पटनायक,
एसएलबीसी के समन्वयक नरेंद्र रावत, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने
भी अपने विचार रखे।