पोखरी में नगर से लेकर गांव तक फूलदेई त्यौहार का धूमधाम से शुभारंभ









विकासखण्ड पोखरी में नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में फूलदेई का त्यौहार धूमधाम से शुरू हो गया है। उत्तराखंड में आज से शुरू हो रहा चौत मास का विशेष पारंपरिक महत्व रखता है। चैत की संक्रांति यानी फूल संक्रांति से शुरू हो गई सुबह-सुबह बच्चे घर-घर जाकर फूल डाले जाते हैं।
इसी को गढ़वाल में फूल संक्रांति और कुमाऊं में फूलदेई पर्व कहा जाता है। फूल डालने वाले बच्चे फुलारी कहलाते हैं।
फूलदेई का त्यौहार आठ दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है और आठवें दिन फूलदेई की पूजा के साथ हर्ष उल्लास के साथ सम्पन्न होता है बच्चे टोकरी में खेतों-जंगलों से फ्यूली,बुंरास,आडू,पैंयां आदि फूल चुनकर लाते हैं और सुबह-सुबह पहले मंदिर में और फिर हर घर -घर की देहरी पर रखकर जाते हैं।
माना जाता है कि घर के द्वार पर फूल डालकर ईश्वर भी प्रसन्न होंगे और वहां आकर खुशियां बरसाएंगे। इस पर्व की झलक लोकगीतों में भी दिखती है। यह उत्तराखंड का प्राचीन त्यौहार है।
वही पोखरी में नगर से लेकर गांव तक फूलदेई का त्यौहार धूमधाम से शुरू हो गया है बच्चों में सुबह-सुबह फूल देई को लेकर काफी उत्साह देखा गया है।
आपको बता दें कि फूलदेयी फूल संक्रति का त्यौहार उत्तराखंड के परम्परागत त्यौहारों में सुमार है। यह त्यौहार सदियों से उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाउ क्षेत्र में मनाया जाता है। लेकिन इस परम्परागत त्यौहार पर भी पलायन का असर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। कुछ दसकों पहले जिस तरह से इस त्यौहार की धूम हर गांव के घर घर में दिखाई देती थी उस तरह से अब नहीं दिखाई दे रही है। हालांॅकि शहरों में अब प्रवासी उत्तराखंडी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कर इस त्यौहार को याद कर रहे है।


संतोष नेगी पोखरी,चमोली