नशा अभिशाप है,इसके दुष्प्रभाव से समाज दूषित हो रहा हैः आचार्य ममगाई



रूद्रप्रयागः कण्डारा गांव मंे आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास जोतिषपीठ व्यास पद से अलंकृत आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने कहा कि स्थूल जो दिखाई देता है जिसे हम अपने नेत्रों से देख सकते हैं और हाथों से छू सकते हैं वह कृष्ण-दर्शन में रुक्मणी कहलाती हैं। सूक्ष्म जो दिखाई नहीं देता और जिसे हम न नेत्रों से देख सकते हैं न ही स्पर्श कर सकते हैं, उसे केवल महसूस किया जा सकता है वही राधा है और जो इन स्थूल और सूक्ष्म अवस्थाओं का कारण है वह हैं श्रीकृष्ण और यही कृष्ण इस मूल सृष्टि का चराचर हैं। अब दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो स्थूल देह और सूक्ष्म आत्मा है। स्थूल में सूक्ष्म समा सकता है परंतु सूक्ष्म में स्थूल नहीं। स्थूल प्रकृति और सूक्ष्म योगमाया है और सूक्ष्म आधार शक्ति भी है लेकिन कारण की स्थापना और पहचान राधा होकर ही की जा सकती है।
यदि चराचर जगत में देखें तो सभी भौतिक व्यवस्था रुक्मणी और उनके पीछे कार्य करने की सोच राधा है और जिनके लिए यह व्यवस्था की जा रही है और वो कारण है श्रीकृष्ण। भागवत के प्रतिपाध्य देव भगवान कृष्ण हैं तो श्री राधा आराध्य देवी है अतः राधा और रुक्मणी दोनों ही लक्ष्मी का प्रारूप है परंतु जहां रुक्मणी देहिक लक्ष्मी हैं वहीं दूसरी ओर राधा आत्मिक लक्ष्मी हैं। कथावाचन में आचार्य ने कहा कि भगवान कृष्ण जी ने कहा था मै ही भागवत हूं आत्मा राधा है। कृष्ण राधा की उपासना करनें बाद कलि दोष, ध्यूत मदिरा आहार व्यवहार दोष नहीं आते जीवन मे दोषों के कारण कलि का प्रवेश होता जिनसे दूर रहनें की आवश्यकता है।


श्रीमद् भागवत कथा के दौरान आचार्य ममगाई द्वारा अनेक सुन्दर भजन भी गाये गाये जिसका भक्तों ने खूब आनन्द लिया। कथा के दौरान कई प्रसंगांे पर स्रोता भावुक हो गये। आपको बता दें कि प्रसिद्व कथा वाचक आचार्य शिव प्रसाद ममगाई पूर्व राज्य सरकार में चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष भी रह चुके है। अभी तक अनगिनत कथाओं के माध्यम से समाज में जनजागरूकता व सनातन धर्म का प्रचार प्रसार के अग्रणी ध्वजवाहक के लिए जाने जाते है।
इस श्रीमद् भगवत कथा के आयोजन मंे रजनी गैराला व महिधर गैराला के साथ चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी द्वारा विशेष सहयोग दिया जा रहा है।
कथा के दौरान चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी, महीधर प्रसाद गैरोला, राजेन्द्र पंत, देवकी नन्दन गैरोला,प्रदीप गैरोला, कुलानंद गैरोला, देवकीनंदन, चंद्र प्रकाश, राकेश चंद्र,रमेश चंद्र, विशंभर दत्त, विजय आनंद,सुमन चंद्र,हर्षमनी,मनोज चंद्र, राजेन्द्र पंत,प्रकाश चंद्र थपलियाल, मुकेश चंद्र थपलियाल, हरीश चंद्र डिमरी,कविता डिमरी, संदीप डिमरी, दिर्घायु परदाली समेत अनेक भक्त जन मौजूद रहे।

