हर्षिल घाटी में अब महकेगी कश्मीर के केसर की खुशबू, उद्यान विभाग ने किया 5 गांवों को चिहिंत



लाल सोना के नाम से मशहूर केसर की खेती जम्मू-कश्मीर में होती है। लेकिन अब कश्मीर का केसर या कहे लाल सोना उत्तराखंड की घाटी में भी महकेगा। जी हां… उत्तराखंड की हर्षिल घाटी में अब कश्मीर के केसर की खेती की जाएगी। जिसके लिए उद्यान विभाग ने जिला योजना से घाटी के पांच गांवों में केसर की खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। पिछले साल हर्षिल घाटी में कश्मीरी केसर उगाने का ट्रायल किया गया था। जिसमें कुछ काश्तकारों ने केसर के बीज बोए थे , जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। जिसके बाद अब घाटी के सुक्की, झाला, मुखबा, पुराली व जसपुर गांवों में केसर की खेती को बढ़ावा मिलने वाला है। जल्द ही घाटी के इन पांचों गांव में लाल सोना उगेगा। जिसमें लगभग 35 से 37 नाली भूमि पर केसर की खेती होगी। विभाग इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए जम्मू और कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि का सहयोग ले रहा है।

बता दें कि केसर की खेती के लिए मुख्य आवश्यकता ठंडे वातावरण की है। हर्षिल घाटी में अच्छी बर्फबारी होती है। नदी द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी (जलोढ़ मृदा) में केसर का अच्छा उत्पादन होता है। हिमालयी क्षेत्र होने के चलते हर्षिल घाटी में भी ऐसी ही मिट्टी है। हर्षिल घाटी में केसर की खेती के लिए मौसम और मिट्टी एकदम अनुकूल है। सितंबर-अक्तूबर में बीज लगाने के बाद मई-जून में उत्पादन मिलेगा। हर्षिल घाटी में केसर की खेती के लिए जम्मू और कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि का सहयोग लिया जा रहा है।
औषधीय गुणों से भरपूर केसर या जाफरान को पूरी दुनिया का सबसे महंगा मसाला माना जाता है। देश में ही केसर की प्रति ग्राम कीमत 100 से 400 रुपये के बीच है। ऐसे में हर्षिल घाटी के काश्तकार केसर की खेती की तरफ उन्मुख होते हैं, तो इससे निश्चित ही उनकी आय में वृद्धि होगी। साथ ही कई बार मौसम के प्रतिकूल होने के चलते सेब की फसल बर्बाद होने की स्थिति में केसर की खेती लाभकारी साबित होगी।

