PWD द्वारा सड़क निर्माण कार्य में अधिग्रहण जनजातियों की नाप भूमि का मुवावजा नही दिए जाने पर ग्रामीणों मे रोष।
जनपद चमोली के कई जगह/गॉवो मे लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क निर्माण कार्य में जनजातियो की नाप भूमि अधिग्रहण किया गया।लेकिन सड़क बने कई वर्ष बीत जाने पर भी आज तक उक्त जनजाति परिवारों को भूमि अधिग्रहण करने के बाबजूद भी मुवावजा नही दिया गया।इस सम्बंध में जब लोक निर्माण के अधिकारियों से पूछा गया तो उनका कहना है कि सड़क निर्माण कार्य में जिन जगहों पर जनजाति परिवारों के नाप भूमि काटा गया उनका मुवावजा इसलिए आज तक वितरण नही हो पाया क्योंकि जनजातियो का जो नाप भूमि है वह लोक निर्माण विभाग के नाम रजिस्ट्री नही हो पा रही है।जब विभाग की तरफ से रजिस्ट्री की कार्यवाही की जाती तो सब रजिस्ट्रार का कहना है कि राजस्व अधिनियम में स्पष्ठ है कि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के नाप भूमि उस वर्ग के अलावा किसी अन्य वर्ग के नाम स्थानांतरण/रजिस्ट्री नही हो सकता।इसलिए मामला अटका पड़ा है।
जबकि 23 अप्रैल 2013 को भास्करानंद सचिव उत्तराखण्ड के पत्र जिलाधिकारी चमोली के क्रम में जनपद चमोली के ग्राम गमशाली में अनुसूचित जनजातियों की भूमि के विषयक विक्रय एवं अधिग्रहण के सम्बंध में कहा गया है कि जमीदारी विनाश एवं भूमि ब्यवस्था अधिनियम की धारा 157क के अंतर्गत अनुसूचित जाति के सदस्यों की भूमि का कलेक्टर की पूर्व अनुमति के बिना एवं 157 ख के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की भूमि का अनुसूचित जनजाति से सदस्यों से इतर व्यक्तियों में किसी भी प्रकार से अंतरण निषेधित किया गया है।किन्तु इन प्राविधानों के द्वारा समुचित सरकार को सार्वजनिक उपयोग हेतू भूमि अधिग्रहण से प्रतिबंधित नही किया गया।अतः समुचित सरकार सम्बंधित प्रशासकीय विभाग के माध्यम से सार्वजनिक उपयोग हेतू भूमि की आवश्यकता पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति व्यक्तियों की भूमि को नियमानुसार अधिग्रहित करने के लिए सक्षम है।तदनुसार भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 एवं संगत नियमो के प्राविधानों के अनुसार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियो के सदस्यों की भूमि का यथा आवश्यकता अधिग्रहण करते हुए नियमानुसार भुगतान की कार्यवाही की जा सकती है।
इसी क्रम मे,मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि क्या प्रदेश के अन्य जनपदों जैसे पिथौरागढ़, उधमसिंह नगर,मुनस्यारी कालसी व अन्य जगहों पर भी जनजातियों की नाप भूमि सार्वजनिक उपयोग में ली जाती है तो क्या वहां पर भी जनजाति की भूमि की रजिस्ट्री सरकार/विभाग के नाम होती है या नही और जनजातियो के नाप भूमि का मुवावजा दिया जाता या नही? यदि उन जगहों पर नाप भूमि का मुवावजा दिया जाता तो सिर्फ चमोली मे ही क्यों नही दिया जाता।
मैं आप लोगो को बता दु कि 2013 से अभी तक जिन जिन गांवों मे लोक निर्माण विभाग द्वारा मोटर मार्ग कार्य किया गया उन गॉवो मे जनजाति परिवारों के नाप भूमि का आज तक विभाग द्वारा किसी भी प्रकार से कोई मुवावजा नही बांटा गया उदाहरण के तौर पर कागा लग्गा द्रोणागिरी मोटर मार्ग पर रुइंग गॉव के ग्रामीणों का नाप भूमि पर लोक निर्माण विभाग द्वारा रोड बनाया गया रोड बने पांच छः वर्ष बीत गए लेकिन विभाग द्वारा ग्रामीणों को अभी तक कोई मुवावजा नही दिया गया।जो कि सरासर विभाग की घोर लापरवाही को इंगित करता है।इसी प्रकार गोपेश्वर के पास सिरोखोमा गॉव का हाल है जहां पर जनजाति परिवारों की नाप भूमि रोड़ कटिंग मे काट दिया गया लेकिन अभी तक उक्त परिवारो को विभाग द्वारा किसी भी प्रकार का मुवावजा नही दिया गया।
पुष्कर सिंह राणा
हिमवंत प्रदेश न्यूज जोशीमठ/नीती माणा घाटी