लोक गायिका पम्मी नवल ने बढ़ाया उत्तराखण्ड का मान, लोकगायन व समाजसुधार के लिए मिला साबित्री वाई फूले सम्मान
पम्मी नवल की उत्तराखंडी परिधान बने लोगे के आकर्षण का केन्द्र।
लोकजागर व समाज-सुधार का कार्य रखेंगी निरंतर जारी।
चमोलीः (पोखरी)प्रसिद्व लोक गायिका पम्मी नवल (पवित्रा टम्टा) को नई दिल्ली स्थित भारतीय दलित साहित्य अकादमी के 40 वें सम्मेलन में देश की प्रथम शिक्षिका साबित्री बाई फूले सम्मान संस्था के डायरेक्टर सुमनाक्षर के कर कमलों से नवाजा गया है। पम्मी नवल के अलावा राजस्थान की एक महिला को भी इस सम्मान से नवाजा गया।
पम्मी नवल को यह सम्मान लोक जागर गायन व समाज सुधार के दिया गया है। पम्मी नवल को सावित्री देवी फूले सम्मान से सम्मानित होने पर पर उनके गृह नगर क्षेत्र पोखरी समेत समूचे उत्तराखण्ड में खुशी की लहर है।
वही लोक गायिका पम्मी नवल द्वारा पहनी गई उत्तराखण्ड के परिधान सम्मान समारोह में आर्कषण का केन्द्र बनी रही। पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद पम्मी नवल ने कहा कि वह 22-23 सालों से उत्तराखण्ड के लोक जागर व गीतों को गाने व लिखने के कार्य के साथ साथ शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को नई दिशा देने का कार्य कर रही है। उन्होंने भारतीय दलित साहित्य अकादमी संस्था को इस सम्मान के लिए धन्यवाद व आभार जताया। इस दौरान उन्होंने लोक जागरों के लेखन गायन के क्रम को निरंतर जारी रखने की बात कही।
आपको बता दें कि लोकजागर गायिका शिक्षिका पम्मी नवल उत्तराखण्ड से एक मात्र गायिका है जिन्हें यह सम्मान दिया गया। उन्हें साबित्री देवी फूले सम्मान मिलने पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों समेत अनेक गणमान्य लोगो ने बधाई व शुभकामनायें दी है।