बद्रीनाथ विधायक लखपत बुटोला ने पत्रकारों से कही मन की बात



Badrinath MLA Lakhpat Butola spoke to journalists about his feelings.
देहरादून, मुख्य संवाददाता। कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला ने कहा है कि पहाड़ के विधायकों के साथ भेदभाव होता है। उनकी बात नहीं सुनी जाती। हाल में जो कुछ सदन में हुआ, वह इसी का परिणाम था। बुटोला ने गुरुवार को देहरादून स्थित प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान कई सवाल उठाए। सदन में हुए प्रकरण में मौन रहने वाले विधायकों को भी कठघरे में खड़ा किया। साथ ही, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की खुले तौर पर तारीफ की।
बुटोला ने कहा कि यूपी से अलग होने की वजह सिर्फ पहाड़ की भौगोलिक परिस्थितियां और यहां की समस्याओं का समाधान था, लेकिन आज सदन के अंदर पहाड़ के स्वाभिमान को ललकारने का काम किया जा रहा है। यहां मैदान-पहाड़ की बात नहीं है, लेकिन यह समझना होगा कि उत्तराखंड की पहचान यहां के पहाड़ ही हैं।
बुटोला का आरोप है कि आज जो योजनाएं बन रही हैं और जो बजट दिया जा रहा है, उसमें पहाड़ की उपेक्षा हो रही है। पहाड़ के विधायकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उनको बात रखने तक का मौका नहीं दिया जा रहा है। बुटोला ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत जुटाई, लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ।



पहाड़ से आने वालों को पास तक नहीं मिलते बुटोला ने कहा कि हमारे क्षेत्र से जो लोग देहरादून स्थित विधानसभा और सचिवालय में अपने काम के लिए आते हैं, उनको पास तक नहीं मिलते। हरिद्वार और देहरादून के एक विधायक को जितनी निधि और बजट मिलता है, उतना ही पर्वतीय क्षेत्र के विधायक को मिलता है। जबकि, हमारी भौगोलिक परिस्थितियां भिन्न हैं। यह भेदभाव नहीं तो क्या है? इसी तरह से योजनाओं में भी भेदभाव होता है।
सदन में मौन रहने वालों पर भी साधा निशाना बुटोला ने सदन में हुए प्रकरण को लेकर कहा कि नीति, नियत और दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत है। क्योंकि जो सदन में गाली सुनने के बाद भी मौन थे, उनको भी जनता के बीच जाकर एक न एक दिन जवाब देना होगा। क्योंकि, हमें जनता ने चुनकर भेजा है, गाली सुनने के लिए नहीं आए हैं। उन्होंने पूछा कि अब तक संसदीय कार्यमंत्री पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई? उनको अब अपने राज्य आंदोलनकारी होने के प्रमाण क्यों देने पड़ रहे हैं?
