क्या है मूल हरेला त्यौहार और कैसे बना हरेला उत्तराखंड का लोकपर्व जाने इसका खबर



देहरादून:समृद्ध लोक संस्कृति के लिए देश और दुनिया में प्रसिद्ध उत्तराखंड मैं आज से हरेला का त्यौहार शुरू हो गया है। मूल रूप से उत्तराखंड के कुमाऊं अंचल में मनाए जाने वाला यह लोक पर्व अब समूचे उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों व विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाने लगा है।
वही देहरादून कौलागढ़ स्थित हनुमान मंदिर में कुर्माचल सांस्कृतिक एवं कल्याण परिषद द्वारा हरेला पूजन के बाद हरेला काटा गया। परंपरागत वेशभूषा में सुसज्जित परिषद की महिलाओं ने एक दूसरे को धन-धान्य व समृद्धि का प्रतीक हरेला का आशीर्वाद दिया ।

फाइनल बीओ- कुमाऊं अंचल की सांस्कृतिक धरोहर हरेला का त्यौहार अब पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक बन चुका है जिसके कारण आज के दिन से 1 माह तक बृहद रूप से वृक्षारोपण किया जाता है। जिससे न सिर्फ हमारी सांस्कृतिक विरासतें देश विदेशों तक पहुंच रही है, बल्कि इससे हमारी धरती को भी संरक्षण मिल रहा है।
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