” उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सैन्य,अर्धसैन्य बलों और दूरसंचार विभाग के अधिकारियों के साथ की आगामी मानसून को लेकर बैठक”
सचिव आपदा प्रबंधन उत्तराखंड की अध्यक्षता मे उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यालय मे एक बैठक का आयोजन किया गया। आपातकालीन स्थिति मे त्वरित प्रतिवादन मे सैन्य -अर्धसैन्य बलों और दूरसंचार की भूमिका को महत्त्वपूर्ण बताते हुए एस ए मुरुगेशन सचिव आपदा प्रबंधन विभाग उत्तराखंड ने कहा कि आपदा के समय आपदा कण्ट्रोल रूम एक वार रूम की तरह रहता है इसलिए आपदा पूर्व ही सामंजस्य स्थापित कर के किसी प्रकार के संसाधनों, उपकरणों की यदि कमी या आवश्यकता पड़ती है तो आपसी समन्वय से पूर्ण करना बहुत ज़रूरी है। सभी सैन्य अर्धसैन्य बलों और दूरसंचार विभाग उत्तराखंड से अपेक्षा है कि वह अपनी अद्यतन सम्पर्क सूची भी विभाग को भेजें ताकि वर्तमान में आपदा विभाग के पास सभी विभागों के अधिकारियों की जो सम्पर्क सूची है उसमें सैन्य -अर्धसैन्य बलों की भी अद्यतन सूची जुड़ जाये यदि उसमे कोई बदलाव है तो।
सचिव आपदा ने आपदा की घटना के दौरान सैन्य अर्धसैन्य बलों के उच्चस्तरीय अधिकारियों को किसी प्रकार की मदद मांगने के लिए आपदा विभाग की ओर से रिक्वेजीशन भेजने की विधि को महत्वपूर्ण बताते हुए इससे संबंधित विषय पर चर्चा की। सचिव ने इस बात पर भी बल दिया कि कई बार आपदा की छोटी घटनाएं जिलों मे घटती है ऐसी स्थिति मे एक घंटा भी गोल्डन ऑवर जैसा होता है ऐसे समय में किस प्रकार से मदद मांगने की कार्यवाही को सूक्ष्म किया जाये ताकि त्वरित प्रतिवादन सफल हो सके। वहीं दूरसंचार उत्तराखंड के अधिकारियों ने बताया कि आपातकालीन संदेशों को जनता तक पहुंचाने के लिए कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल की सुविधा भी एक सफल प्रयास है। बैठक के दौरान सैन्य अर्धसैन्य बलों के अधिकारियों ने सुझाव दिया कि कम से कम साल में एक बार सभी फोर्स के जवानों को आपस में सामंजस्य स्थापित कर मॉक एक्सरसाइज की आवश्यकता है जिससे आपातकालीन स्थति के लिए बेहतर तैयारी हो। साथ ही उन्होंने कहा कि सैन्य एवं अर्धसैन्य बल भी खोज और बचाव के स्वयंसेवकों को ट्रेनिंग प्रदान करने के लिए तैयार है। इस दौरान सचिव आपदा प्रबंधन ने उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण एवं सैन्य अर्धसैन्य बलों को आपस में हेलीपैड्स का विवरण साझा करने के निर्देश दिए।