“उतणदंड उत्तराखण्ड” प्रसिद्व कवि बलबीर राणा ‘अडिग’ की खास रचना




उतणदंड उत्तराखण्ड
अनियंत्रित निर्माण हर प्रखण्ड
विकास की जद में खण्ड-खण्ड
आध्यात्म आस्था गई पानी भरने
जब से आया पर्यटन पाखंड।
लिखे जा रहे हैं विनाश शिलाखण्ड
कल केदार आज जोशीमठ दंड
सुरंग शूल कब तक सहेगी धरती
कल और कोई मठ होगा झंड।
क्याजी ब्वन ? कैमा ब्वन
उतणदंड उत्तराखण्ड ।
रचना : ©® बलबीर राणा ‘अडिग’
8 Jan 2023