January 19, 2025

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में एक दिन में दो टावर कर हासिल की विशेष उपलब्धि

 

Special achievement achieved by building two towers in one day in Shri Mahant Indiresh Hospital

देश दुनिया के चुनिंदा नामचीन मैडिकल काॅलेजों में ही टावर तकनीक उपलब्ध।

टावर हार्ट पेशेंट के उपचार की विश्वविख्यात अत्याधुनिक हार्ट प्रोसीजर तकनीकों में से एक।

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में 4 महीनें में 12 से अधिक टावर प्रोसीजर हुए

देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कार्डियोलाॅजी विभाग के डाॅक्टरों ने एक दिन में दो अलग अलग मरीजों के दो टावर प्रोसीजर कर विशेष उपलब्धि हासिल की। विशेष उपलब्धि इसलिए क्योंकि टावर हार्ट पेशेंट के उपचार की विश्वविख्यात अत्याधुनिक हार्ट प्रोसीजर तकनीकों में से एक है। देश दुनिया के चुनिंदा नामचीन मैडिकल काॅलेजों में ही टावर तकनीक का इस्तेमाल कर उपचार किया जा रहा है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल उन चुनिंदा नामचीन अस्पतालों की सूची में शामिल है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में विगत 4 महीनें में दर्जन भर टावर प्रोसीजर हो चुके हैं।

वरिष्ठ काॅर्डियोलाॅजिस्ट डाॅ सलिल गर्ग, डाॅयरेक्टर कार्डियक साइंसेज़ श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने माॅर्डन काॅडियोलाॅजी से जुड़ी महत्वपूर्णं जानकारियां सांझा की। उन्हें दी कि अपने 25 सालों का काॅडियोलाॅजी सेवाओं का अनुभव है। वह ए.एफ.एम.सी. अस्पताल, आर.आर.अस्पताल दिल्ली, कमाण्ड हास्पिटल (के.जी.एम.यू.) लखनऊ में विभिन्न वरिष्ठ पदों पर सेवाएं दे चुके हैं। कैथ लैब में टावर व अन्य महत्चपूर्ण प्रोसीजर श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं। यही कारण है कि हार्ट पेशंेट अत्याधुनिक हार्ट प्रोसीजर के लिए उत्तर भारत एवम् अन्य राज्यों से श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में पहुंच रहे हैं। इससे श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल हाई वोल्यूम सेंटर के रूप में स्थापित हो रहा है।
काॅर्डियोलाॅजी एवम् सीटीवीएस विभाग के डाॅक्टरों एवम् तकनीक एवम् बेहतर समन्वय से अति गम्भीर ह्दय रोगियों को एक छत के नीचे सम्पूर्ण उपचार मिल रहा है। टावर तकनीक ने काॅर्डियोलाॅजिस्टों के लिए हार्ट उपचार को काफी सुगम दिया है। सीजीएचएस, ईसीएचएस, गोल्डन कार्ड एवम् ईएसआई के अन्तर्गत टावर तकनीक के उपचार की सुविधा उपलब्ध है। इन योजनओं के लाभार्थी श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में टावर तकनीक का लाभ ले रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि टावर तकनीक के द्वारा बिना चीरा लगाया वाल्व बदल दिया जाता है। इस प्रोसीजर में 4 दिन के अंदर ही मरीज़ को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस तकनीक से पूर्व वाल्व बदलने के लिए चीरा लगाकर प्रोसीजर किया जाता था। मरीज को 15 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती रहना होता था। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की ओपीडी व भविष्य में मरीजों की सुख सुविधाओं को ध्यान में रखकर माॅर्डन ओपीडी तैयार करने का काम प्रगतिशील है।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के काॅर्डियोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ साहिल महाजन ने जानकारी दी कि टावर (टांसकैथेटर एओर्टिक वाॅल्व रिप्लेसमेंट) हार्ट पेशेंट का एडवांस इलाज है। ऐसे ह्दय रोगी टावर तकनीक उनके लिए संजीवनी है। टावर तकनीक के द्वारा बिना ओपन हार्ट किए वाल्व रिप्लेसमेंट कर दिया जाता है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के काॅर्डियोलाॅजी विभाग में 2 अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कैथ लैब व कुशल काॅर्डियोलाॅजिस्ट की कुशल टीम भी उपलब्ध है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सोशल मीडिया वायरल

error: Content is protected !!