January 19, 2025

40 सीट की बस पर 60 लोग सवार,इन 36 मौतों का गुनाहगार कौन?

 

 

वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेशबुक पोस्ट

 

इन 36 मौतों का गुनाहगार कौन?
– ओवरलोड बस? सड़ी-गली व्यवस्था या बदहाल सड़क?
– एआरटीओ सस्पैंड क्यों, लोक निर्माण और परिवहन मंत्री इस्तीफा दें।

तीन साल की शिवानी आज सुबह अपनी माता चारु और पिता मनोज के साथ मौत की बस में सवार हुई। कुछ ही पलों में उसकी जिंदगी बदल गयी और वह यतीम हो गयी। अल्मोड़ा बस हादसे में उसने अपने माता-पिता को खो दिया। घायल शिवानी की चीखें इस हादसे में शिकार लोगों के परिजनों की दर्द की परिणति का एक उदाहरण है। 36 यात्रियों ने मनहूस बस में जान गंवा दी और 26 लोग घायल हैं जिन्हें विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद जैसा कि होता है कि मजिस्ट्रेटी जांच बिठा दी गयी और जानकारी के अनुसार दो एआरटीओ को संस्पैंड कर दिया। पर सवाल तो अनसुलझे ही रह जाते हैं तो ऐसी मजिस्टेªटी जांच किस काम की।

जीएमओयू की बस संख्या यूके 12 पीए 0061 गोलीखाल से रामनगर जा रही थी। इस बस में 62 लोग सवार थे। बस जब सुबह लगभग पौने नौ बजे कूपी मोटरमार्ग पर मरचूला के निकट पहुंची तो अचानक की अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिर गयी। आपदा प्रबंधन टीमें मौके पर पहुंची तो स्पॉट पर ही 28 लोग दम तोड़ चुके थे। 8 घायलों ने रामनगर अस्पताल में दम तोड़ा। रामनगर के मनोज और चारू इन्हीं अभागों में शामिल थे।

इस रूट पर पहले भी हादसे हो चुके है और मजिस्ट्रेटी जांच भी हुई। पौड़ी के वीरोंखाल में 2022 में हुआ हादसा याद है, 32 लोग मारे गये थे। मजिस्ट्रेटी जांच हुई थी। हुआ क्या? कुछ भी नहीं। किसी को सजा मिली हो तो बताएं। आज भी प्र्रशासन का सीधा सा जवाब है कि ओवरलोडिंग से हादसा हुआ। 40 सीटर में 62 लोग सवार थे। एआरटीओ पौड़ी और रामनगर पर गाज गिरने की सूचना है। पर कोई यह नहीं बताता कि पहाड में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम नाम की कोई चीज है भी?

सरकार बताएं कि जीएमओयू या केएमओयू में पिछले 10 साल में कितनी नई बसें आई हैं? रोडवेज की कितनी बसें ग्रामीण मार्गों पर चल रही हैं? जब जनता के पास पब्लिक ट्रांसपोर्ट नाम की चीज नहीं होगी तो या तो वो ट्रैकर में जान-जोखिम में डालेेंगे या फिर यूं खस्ताहाल बसों में जान गंवाएंगे। बस का फिटनेस ही नहीं, पहाड़ी रूटों पर क्रास बैरियर का भी अभाव है। जिस कूपी मार्ग पर बस चल रही थी, वह मार्ग भी खस्ताहाल बताया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग मंत्री सतपाल महाराज बताएं कि क्या यह मार्ग गढ्ढा मुक्त है, यदि नही ंतो फिर क्यों न इन मौतों के लिए मंत्री को दोषी माना जाएं। ऐसे ही परिवहन मंत्री भी इस हादसे के लिए उतने ही दोषी हैं। यदि थोड़ी सी भी नैतिकता है तो इन दोनों मंत्रियों को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।

अल्मोड़ा के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी विनीत पाल की सराहना करनी होगी कि उनके प्रयासों से एक यात्री विनोद की जान बच गयी। वह खाई में लटका था और उसने विनीत को फोन किया कि खाई मे लटका हूं, बचा लो। उसे बचा लिया गया। ़विनीत के मुताबिक हादसे की जगह पर शायद क्रैश बैरियर नहीं थे। उधर, जब आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन से जब मैंने डिटेल पूछी तो उनका कहना था कि ओवरलोडिंग, फिटनेस आदि की बात परिवहन विभाग बताएगा या मजिस्ट्रेटी जांच से ही कारण पता चलेगा।

खैर, अब शोक जताने का इमोशनल ड्रामा होगा। मृतकों और घायलों को मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन मासूम शिवानी का क्या होगा? इस सवाल का जवाब है शासन-प्रशासन के पास?

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सोशल मीडिया वायरल

error: Content is protected !!