भगवान कृष्ण की वांङमय मूर्ति है श्रीमद्भागवत


भगवान कृष्ण की वांङमय मूर्ति है श्रीमद्भागवत


भागवत वह ग्रंथ है जिनके दर्शन करने से कृष्ण दर्शन का लाभ कलिकाल में प्राप्त होता है कथा मनोरंजन के लिए नही बल्कि मनोभंजन के लिए होती है सभी को यह ध्यान रखना चाहिए कि कथा मोक्षदायिनी है यह अंतरंग विषय है जो सुखदेव परमहंस की समाधि को जिसका एक श्लोक तोड़ देता है हमारे अंदर लोभ मोह ईर्ष्या को मिटाने वाला श्रीमद्भागवत है उक्त विचार ज्योतिष्पीठ ब्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने मथुरोंवाला विष्णु पुरम देहरादून कण्डवाल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त करते कहा वेद आदि जिसका पता नही कर सकते वह ब्रृज की गोपियों ने गौ चारित के रूप में अपने आँचल पट पर बांधते हुए छांछ के लिए गोपी के कहने पर नाचते हैं सुखदेव सरीखे सन्त कथा सुनते है यह आडम्बर का विषय नही और न ही इसमें आडम्बर किसी को करना चाहिए उत्तराखंड से वेद ज्ञान जल गंगा का उद्गम हुआ गणेश जी ने चतुर्थी से चतुर्दशी तक महाभारत के लाख श्लोक लिखे व्यास जी ने जल फल पत्तो से लिखने में जो ताप बढ़ गया था उसे शीतल किया इसलिए गणेश उत्सव मनाया जाता है जो विघ्न विनाशक है दंगे फिसाद होने पर जैसे प्रशासन सख्ती से पेश आता है वैसे मद पदों का अभिमान बढ़ता है तब महामारी दैविक घटनाएं सुव्यवस्थित करने के लिए मानव मात्र जीव मात्र को नियंत्रित करने हेतु परमात्मा अवतरित होते हैं।।आज विशेष सरोज कंडवाल हरीश गिरीश रवीश नारायण दत्त मोहनलाल विवेकानंद कुलानंद सोनी देवी अमिता संध्या कलावती कंठी देवी प्रभा देवी सारथी आदित्य दिव्यांश अविनीत आरव यीशु अनिता भट्ट भगवानी देवी गोदम्बरी भट्ट दुर्गेश सोना देवी गौरव आरुषि वीरेंद्र रावत गणेश रावत राजीव गुप्ता कैलाश झिलडियाल आचार्य सुबोध नवानी आचार्य विजेंद्र ममगाईं आचार्य सुनील ममगाईं आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य हिमांशु मैठाणी आचार्य सूरज पाठक सुरेश जोशी आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित रहे!!