14 साल बाद दिवरा यात्रा के लिए गर्भगृह से बाहर निकली राजराजेश्वरी जिठांई देवी







चमोली/कनखुल: देवभूमि के नाम से देश व दुनियां में विख्यात उत्तराखंड अपनी अनोखी लोक परम्पराओं, रीति रिवाजों के लिए जाना जाता है। यहां समय समय पर देवी व देवता अपने गर्भगृह से बाहर निकल कर अपने भक्तों को दर्शन व आर्शीवाद देने के लिए देवयात्रा पर निकलते है। इन्ही लोक परम्पाओं व सदियो से चली आ रही रीति रीवाज के क्रम में 14 वर्ष बाद चौथगी परिवार कनखुल तल्ला विडोली व कनखुल मल्ला डौंठला एवं ग्वाड द्वारा आराध्या देवी मांॅ राजराजेश्वरी जिठांई देवी का 9 माह की दिवारा यात्रा धियाणी एवं मुल्क भ्रमण का कार्यक्रम 7 सितंबर से शुभारंभ हो गया है।
लोक परम्पराओं के अनुसार मॉ राजराजेश्वरी जिठांई देवी की चल विग्रह डोली पधान मालगुजार के घर पर पूजा अर्चना के लिए निवास करेगी। इन तीन माह के दौरान माता द्वारा चयनित पश्वों को प्रशिक्षण दिया जायेगा और दिवारा यात्रा की तैयारियो की जायेगी।
इसके बाद मॉ राजराजेश्वी जिठांई देवी मार्गर्शीष माह में दोनो ग्रामसभाओं के लिए प्रस्थान करेगी व कुछ दिनों के प्रवास के दौरान सभी भक्तों को अपना आर्शीवाद देगी। तत्पश्यचात दिवरा यात्रा का बाहर का भ्रमण मॉ राजराजेश्वरी जिठांई का मायका माने जाने वाला रामणा कुमाउॅ से शुरू किया जायेगा।
दिवरा यात्रा के दौरान मॉ जिठाई देवी की चल विग्रह डोली धियाणियों को आर्शीवाद देने के लिए उनके क्षेत्रों में जायेगी। और नियत समय पर पूजा अर्चना के बाद अपने गर्भगृह में प्रवेस करेगा।