मनुष्य को स्वस्थ जीवन जीने के लिए वनों को आग से सुरक्षित रखना जरूरी









संतोष नेगी


मनुष्य को स्वस्थ जीवन जीने के लिए वनों को से सुरक्षित रखना जरूरी है। वनाग्नि के कारण वनों की जैव विविधता और पूरा पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होती है। जंगल में पेड़ पौधों के साथ ही छोटी-छोटी घास व झाड़ियाँ भी नष्ट होती हैं। जिसकी वजह से भू-क्षरण, भू-स्खलन की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।
वनों में आग लगने से के इमारती लकड़ियां भी जल जाती हैं जो आर्थिक नुक्सान होता है ग्रामीण क्षेत्रों में मध्य वर्ग के परिवार वनों पर निर्भर रहते हैं वनों में आग लगने उनकी आर्थिक दशा प्रभावित होती है।
वनों की आग से लगने से धुआँ और विभिन्न प्रकार की जहरीली गैसें मानव और सभी प्राणियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती हैं।
वन की आग वन मृदा, वृक्ष वृद्धि, वनस्पति और समग्र वनस्पतियों और जीवों पर कई प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। आग से कई हेक्टेयर जंगल में राख के कारण यह स्थान किसी वनस्पति का विकास नही होती है।
वनाग्नि के तीव्रता में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण मानव है। एक बड़ी आपदा का रूप ले चुका है। भारत तथा विश्व में लगातार वनाग्नि के बढ़ने से सामाजिक ,आर्थिक तथा पर्यावरणीय असंतुलन आ जाता है। इस असंतुलन को संतुलित बनाने के लिए समुदाय की भागीदारी जरूरी है वनों को आग से बचाने के लिए मानव समाज को समस्या के लिए सार्थक कदम उठाने चाहिए।यह सब कर्तव्य है