डेंगू के डंक से देहरादून में मचा कोहराम,लीपापोती में जुटा शासन प्रशासन।
देहरादून:डेंगू मच्छर के डंक से सूमचा उत्तराखंड भय के माहौल में जी रहा है। वहीं शीतकालीन राजधानी देहरादून में डेगू के डंक ने आतंक मचा रखा है। डेंगू के सबसे ज्यादा मरीज जनपद देहरादून में पाये जा रहे है। शर्मनाक बात यह है कि देहरादून में डेंगू का मच्छर शासन व प्रसाशन की नाक के नीचे पल रह है। कोरोना काल के बाद इस साल डेंगू मच्छर का आतंक चरम सीमा पर है। नगर निगम,स्वास्थ्य विभाग व शासन प्रसाशन डेंगू के मच्छर के रोकथाम का दावा तो कर रहा है,लेकिन धरातल पर इसका ठोस असर देखने को नहीं मिल रहा है।
मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून बीते कई माह से डेंगू मच्छर को रोकने का दावा कर रहे हैं लेकिन उनके दावों की पोल हर दिन बढ़ते डेंगू के मरीज खारिज कर देते है। सघन बस्ती में तब्दील होता देहरादून व ऋषिकेश शहर में नगर निगम के द्वारा सफाई के दावे तो किये जाते है। लेकिन हकीकत में ये दावे धरातल पर कही भी नजर नहीं आ रहे हैं। डेंगू मच्छर को पनपने के लिए आजकल का मौसम बहुत अनकूल है। डेंगू के डंग से अभी तक सैकड़़ों मौतें हो चुकी हैं लेकिन सरकारी आंकड़ों में यह लगभग 1 प्रतिसत दिखाई जा रही है। वर्तमान में डेंगू के डंक से लगभग हर दूसरा परिवार पीड़ित है लेकिन सरकार को जैसे इस महामारी से काई लेना देना न हो।
इस महामारी को फलने फूलने में ड्रग माफियाओं की बड़ी साजिस नजर आ रही है। क्योंकि देहरादून उत्तराखंड का सबसे ज्यादा आवादी के साथ साथ सधन बस्ती वाला जनपद है। महामारी फैलने से ड्रग माफियाओं की दवाओ,मेडिकल किट व प्रायवेट अस्पतालों का उद्योग खूब फल फूल रहा है। इस काले कारोबार में बडे़ बडे़ रसूखदार सफेदपोसों का शेयर उन्हें खूब मुनाफा पंहुचा रहा है। वहीं सरकारी अस्पतालों में आम आदमी को इलाज के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। गरीबों का हित चाहने वाली सरकार का दावा है कि मरीजों को इलाज व दवा निःशुल्क दिया जा रहा है,लेकिन सरकारी डॉक्टर एक दवा देकर सात प्रकार की अनावश्यक दवायें प्रायवेट दवाखाने की लिखकर मरीज को भगा देते है। प्रायवेट लुटेरे डाॅक्टरों के लिए तो मरीज दुधारू गाय जैसे है ।इस हालत में गरीबों के घाव भरने की जगह नमक झिड़कने का काम वर्तमान समय में हो रहा है। क्योंकि इन दवा के कारोबारियों का डॉक्टरों समेंत सफेद पोसों के लिए मोटा कमीशन फिक्स है।
डेंगू के डंग से पीड़ित मरीजों से देहरादून से लेकर ऋषिकेश के सारे प्रायवेट व सरकारी अस्पताल फुल है। हजारों मरीज अपने इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर काट के थक गये है। कई लोंगों को समय पर उचित इलाज न मिलने से जिन्दगी की जंग हार चुके है। लेकिन इस बीमार सरकारी तंत्र को आम जनता से फिलहाल कोई सहानूभूति नहीं है।सिर्फ चुनावों के समय इनके लिए जनता देवतुल्य हो जाती है आखिर क्यों ? इस यक्ष प्रश्न का उत्तर सरकार कब देगी?
-भानु प्रकाश नेगी, हिमवंत प्रदेश न्यूज
,देहरादून