जिसके पालन से समाज की रक्षा होती वह धर्म है: आचार्य ममगांई।




टिहरी भण्डार गाँव(खाड़ी) में कोठीयाल परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा में तीसरे दिन भक्तों सम्बोधित करते हुए ज्योतिषपीठ व्यास पद से अलंकृत प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य शिव प्रसाद ममगांई ने कहा वैदिक काल में धर्म का स्वरूप देव स्तुति परक रहा है , वैदिक देवता प्राकृतिक शक्तियों के स्वामी है तथा अपने ईश्वरी की अनुदान के प्राणियों को उपकृत करते हैं। कभी-कभी कुपित होकर बाढ़ अकाल आदि प्राकृतिक बाधाओं के रूप में प्राणियों को दंडित भी करते हैं ।वेद इन देवताओं से ऐश्वर्य समृद्धि की प्राप्ति तथा भय मुक्ति के लिए इनकी स्तुति का निदर्शन करते हैं।
इस प्रकार वैदिक धर्म उपासनात्मक धर्म है। उपनिषदों में वेद प्रतिपादित प्रवृत्ति मार्ग यहलौकिक अभ्युदय से निवृत्ति मार्ग मोक्ष की ओर प्रस्थान किया गया और धर्म को आध्यात्मिक स्वरूप प्रदान किया गया है।हिंदू धर्म कोश के अनुसार स्मृतियों में धर्म के स्वरूप का साधारण क्रम यह है कि पहले साधारण धर्म का वर्णन किया गया है। जिसका जगत के सभी प्राणियों द्वारा अनुपालन करना उचित है। जिसके पालन से समाज की रक्षा होती है। यह धर्म आस्तिक और नास्तिक दोनों पक्षों को मान्य होता है। फिर समाज की स्थिति के लिए जीवन के विविध व्यापारों और अव्यवस्थाओं वर्णों आश्रमों के कर्तव्यों का धर्म के रूप में निर्देश किया जाता है। इसको ही विशिष्ट धर्म कहते हैं ।जिससे मनुष्य संयमी होजाता है संयमी जीवन ही संस्कारों को सम्पन्न करता है और संस्कारों का फल होता है शरीर और आत्मा का उत्तरोत्तर विकास। धर्म सन्मार्ग का प्रथम उपदेश है अभ्युदय लिए नियम है, संयम उस आदेश का नियम पालन है संस्कार उन संयमों का सामूहिक फल है और किसी देश काल और और नियमित में विशेष प्रकार को उन्नत अवस्था में प्रवेश करने का द्वार है। कृष्ण जन्म की सुन्दर झांकी माखन मिश्री का प्रसाद वितरण किया गया लोग सूदूर क्षेत्र से आकर कथा श्रवण कर रहे हैं
इस अवसर पर भवानी दत्त कोठियाल राजेन्द्र प्रेमदत्त चंद्रमणि राकेश संजय प्रमोद नौटियाल हितेश जोशी भगवती प्रसाद भट्ट बुद्धि प्रसाद भट्ट बालकिशन भट्ट वीरेंद्र उनियाल दिनेश नौटियाल अनिता नौटियाल सुनीता जोशी राजेश्वरी देवी बबली कोठियाल श्यामा देवी बीना गुड्डी देवी श्रेया सृष्टि सुशीला देवी आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित थे ।