December 2, 2025

श्री नंदा देवी राजजात 2026 की तैयारियाँ शुरू — गढ़वाल-कुमाऊं राजवंशों की समन्वय बैठक सम्पन्न।

 

 

देहरादून,
राजपुर रोड ठाकुर भवानी प्रताप सिंह पंवार की अध्यक्षता तथा पुराना दरबार ट्रस्ट के तत्वावधान में आगामी वर्ष 2026 में आयोजित होने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा के संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में गढ़वाल एवं कुमाऊं राजवंशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में बताया गया कि हर 12 वर्ष पश्चात गढ़वाल के पंवार राजवंश द्वारा भगवती मां नंदा राजराजेश्वरी को प्रसन्न करने, राज्य पर आए आपदाओं और कष्टों के निवारण तथा पितरों की आत्माओं की संतुष्टि के लिए इस यात्रा का आयोजन किया जाता है। यह यात्रा कंसुआ, नौटी एवं चांदपुर गढ़ से प्रारंभ होकर गांव-गांव भ्रमण के पश्चात कैलाश के लिए विदा होती है।

इस अवसर पर कोऑर्डिनेशन कमेटी (समन्वयक समिति) का गठन किया गया। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यात्रा का आयोजन पारंपरिक स्वरूप में ही किया जाए, जिसमें गढ़वाल एवं कुमाऊं की देवडोलियां नंदकेसरी में एक दूसरे से मिलें और कुरूड की डोली सभी डोलियों की अगुवाई करते हुए कैलाश की ओर प्रस्थान करे।

बैठक में यह भी तय हुआ कि यात्रा मार्ग के दुर्गम पड़ावों पर स्थानीय किसानों के खेतों को पार्किंग एवं ठहराव स्थल के रूप में विकसित करने हेतु उचित मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही पूर्व में लंबित मुआवजों के भुगतान पर भी बल दिया गया।
पर्यावरण संरक्षण और उच्च हिमालयी क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी को ध्यान में रखते हुए सीमित संख्या में श्रद्धालुओं के प्रवेश की व्यवस्था तथा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एवं स्वच्छता पर विशेष चर्चा हुई।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक गांव के मंदिरों के पूजित ध्वज यात्रा में लाकर मां नंदा देवी को अर्पित किए जाएं।
अंत में यह विचार व्यक्त किया गया कि नंदा देवी गढ़वाल और कुमाऊं की अधिष्ठात्री देवी हैं, जो दोनों क्षेत्रों को एक सूत्र में जोड़ती हैं। इसलिए नंदा देवी राजजात यात्रा को विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दिलाने के लिए प्रयास किए जाने पर जोर दिया गया।

समन्वय समिति में ठाकुर भवानी प्रताप सिंह पंवार, कुमाऊं के युवराज नरेंद्र चंद, ठाकुर राकेश कुंवर, भुवन नौटियाल, मनोज वर्मा, मनोज सनवाल, बिशन कुंवर, विजयपाल बघेल, शिव सिंह नेगी, दलवीर सिंह दानू, सुरेश सुयाल, डॉ. मानवेंद्र सिंह बर्त्वाल, राजेंद्र भंडारी, देवीप्रसाद देवली, कैलाश बहुगुणा, विनोद नौटियाल और कुंदन सिंह टकोला सहित स्थानीय जात समितियों के प्रमुख शामिल किए गए।

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