सुभाषित वचन व संतो का जीवन अपनाने वाले मनुष्य को ही सन्मार्ग मिलता है:नीलकंठ जी महाराज









नाम का प्रभाव है भगवान का नाम भजने से ही मनुष्य जीवन भवसागर पार हो जाता है। इसलिए बिना फल की इच्छा के ही भगवान का नाम भेजना चाहिए। पुराण की कथाये मनुष्य की जागृत करती है मानव व दानव का फर्क पैदा करती है। हमने कहां जन्म लिया है हमें कहां जाना है यह मनुष्य जन्म में ही तय हो सकता है। सुभाषित वचन व संतो का जीवन अपनाने वाले को ही सन्मार्ग मिल सकता है।
उक्त वचन सूगी गांव में आयोजित भागवत प्रेमी सुरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत भागवत कथा के अंन्तिम दिन प्रसिद्ध कथा व्यास नीलकंठ जी महाराज ने कही।
श्रीमद्भागवत कथा के अंन्तिम दिन पूर्णाहुति से पूर्व कथा व्यास नीलकंठ जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी- कृष्ण समेत अनेक प्रसंगों की कथाये सुनाई।
कथा के समापन्न पर भागवत कथा में पधारे सभी भक्तों ने बह्मभोज का प्रसाद ग्रहण किया।

