नंदा अष्टमी के पर्व पर तोपालों की कुलदेवी माँ ऊँफराई का कार्ज पेता (संकल्प )अनुष्ठान समापन्न, देवी ने दिया भक्तों को आर्शीवाद







नंदा अष्टमी के पावन पर्व पर तोपालों की कुलदेवी माँ ऊँफराई का कार्ज किये जाने का पेता (संकल्प ) रखा गया तदनुसार देवी के कुलपुरोरित पंडित उमादत्त थपलियाल द्वारा देवी पूजन का कार्यक्रम की तिथि निकली गयी।पारंपरिक मान्यतानुसार देवी पूजन कार्यक्रम पौष मास में आयी कालरात्रा को मध्यनजर रखते हुए निकाला जाता है,जो 24 दिसंबर 2022 से 01 जनवरी 2023 तक तोपालों के मोरसी गांव,देवी के मूल स्थान ग्राम सुखतोली पट्टी कपीरी,जनपद चमोली में सम्पन्न हुआ ।
,इस पूजन कार्य मे ग्राम सुखतोली जिसमे ठकूर नेगी और मेडू नेगी जिन्हें कभी तोपालों के पूर्वज घर जवाई के रूप में साथ मे लाये थे साथ ही डिडोली के पुण्डीर लोग धियांण के नाते और सुखतोली में गांव के नाते डिमरी परिवार इस पूजा कार्यक्रम में कर -दर देकर बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।
ं इस महापूजन कार्य ( कार्ज) को तोपालों के समस्त गांव व समस्त तोपाल लोग सम्पन्न कराते हैं । मूल रूप से तोपालों के सुखतोली, फलोटा, डिडोली, और केलापानी , धारकोट- सिमार गांव हैं इसके अलावा कोलाडुंगरी ,कनखुल ,और डूंग्रा में तोपाल जाति के लोग रहते हैं। जो इन गांवों से आकर देवी के इस महा कार्ज में सहभागिता निभाते हैं। देवी के पुजारी थपलियाल जाति के ब्राह्मण होते हैं। जो धनसारी गांव ,पट्टी कपीरी ,जनपद चमोली में रहते हैं। यह कार्ज गाँव के पंचायती पंडित रहे प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित मुरलीधर थपलियाल के अनुज पं. उमादत्त थपलियाल और उनके नाती पं. अनूप थपलियाल। द्वारा सम्पन्न किया जाएगा।
गौरतलगब है कि, माँ राजराजेश्वरी ऊफराई तोपाल जाति की कुल ईष्ट देवी है तोपाल जाति की स्थापना कुलपुरुष राजा तुलसिंह प्रतापी ने की जो 52 गढ़ों में तोप गढ़ का प्रसिद्ध गढ़पति राजा था। , तोपाल राजा के पास चाँदपुर के साथ साथ राठ क्षेत्र में रेवेन्यू राइट थे । निकटवर्ती राजा से शर्त में तोप गढ़ हारने के बाद तोपाल राजा सिमली पिंडर के पार जा कर एक ऊंचे टीले में गढ़ स्थापित किया बाद में सुखतोली गांव बसा कर रहने लगे । मान्यता है कि चाँदपुर गढ़ में गढ़ स्थापित किये जाने हेतु तोपालों को (मंगरा )पानी का धारा बनाना था और निकटवर्ती राजा को कुंआ खोदना था कहते कि तोपालों ने मगरा बना दिया था और प्रतिद्वंदी राजा ने कुआं तो खोदा मगर पानी नहीं निकाल सके और पानी ला ला कर भरते रहे इधर तोप गढ़ के लोग आस्वत थे कि हमने मंगरा (धारा) बना दिया और तंबाकू पीने लग गए और प्रतिद्वन्दी राजा ने छद्म कर निर्धारित स्थान पर रखा नगाड़ा बजा कर शर्त जीतने का दावा कर दिया और इस प्रकार तोपालों को तोप गढ़ त्यागना पड़ा।
मगर छद्म से शर्त जीतने वाला राजा चौडाल कहलाया जाने लगा। लोक कहावत प्रसिद्ध हो गयी “तोपालों ने तोप तापी , चौडालों को राज“ तोप गढ़ त्यागने के बाद राजा अपनी कुलदेवी साथ ले गए और नए स्थान पर माड़वी स्थापित कर देवी की आराधना करते आ रहे हैं ।इस पोस्ट के माध्यम से में प्रदेश देश मे निवास कर रहे समस्त तोपाल जाति के लोगों का आव्हान करता हूँ। खास कर टिहरी , पौड़ी में बसे तोपाल जाति के लोगों से यदि उनका इतिहास तोप गढ़ और राजा तुलसिंह प्रतापी से है तो आइए एक बार अपने इतिहास की जड़ों की तरफ निहारे और अपनी कुलदेवी की आराधना में आस्था दिखाएं और अपने तोपाल होने पर गौरव करें । रविदर्शन तोपाल,सुखतोली चमोली