December 13, 2024

एसजीआरआर विश्वविद्यालय में विश्व फार्मेसी दिवस पर अंगदान व नेत्रदान का दिया संदेश।

 

अक्षी पुण्डीर को बेस्ट स्लोगन एवम् आयुष कुमार को बेस्ट पोस्टर का खिताब।

देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज़ की ओर से विश्व फार्मेसी दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इण्डिया ने वर्ष 2023 के लिए फार्मासिस्ट स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत कर रहे हैं -अंगदान महादान थीम निर्धारित की है। छात्र-छात्राओं ने रैली निकालकर इस थीम के बारे में जन-जागरूकता का संदेश भी दिया। एसजीआरआर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति
श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज, कुलपति डाॅ यशबीर दिवान व कुलसचिव डाॅ अजय कुमार खण्डूड़ी ने आयोजक सदस्यों को शुभकानाएं दीं।
सोमवार को श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के पटेल नगर कैंपस के सभागार में कार्यक्रम का शुभारंभ डाॅ विवेक रुहेला, वरिष्ठ गुर्दा रोग विशेषज्ञ, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल एवम् डाॅ दिविजा अरोड़ा वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल एवम् डाॅ दिव्या जुयाल, डीन स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। फार्मेसी एंथम से कार्यक्रम का आगाज़ हुआ। डाॅ विवेक रुहेला ने अंगदान को महादान बताते हुए अंगदान के मेडिकल व व्यावहारिक पक्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने जानकारी दी कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में अब तक 20 से अधिक किडनी प्रत्यारोपरण सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं। डाॅ दिविजा अरोड़ा ने नेत्रदान को महादान बताते हुए नेत्रदान के विषय में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया किया श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के नेत्ररोग विभाग में नेत्रदान की सम्पूर्ण सुविधा उपलब्ध है।
स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज के छात्र-छात्राओं ने स्लोगन प्रतियोगिता में नेत्रदान महादान के मनमोहन स्लोगन प्रस्तुत किए। अक्षी पुण्डीर द्वारा प्रस्तुत किए गए स्लोगन अंगदान है दान महादान, इसके लिए चले अभियान, इसको करके मानव भी देवों में पा जाए स्थान स्लोगन को बेस्ट स्लोगन का पुरस्कार दिया गया । पोस्टर प्रतियोगिता में आयुष कुमार के पोस्टर अंगदान महादान को प्रथम पुरस्कार मिला। इसके बाद छात्र-छात्राओं द्वारा हस्त-निर्मित अंगदान महादान संदेश लिखे चित्र, बैनर व तख्तियों के साथ रैली निकाली। कार्यक्रम को सफल बनाने में स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज़ के डाॅ मनीष मिश्रा व डाॅ सुधाकर कौशिक विशेष सहयोग रहा।

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