बिना भक्ति के ज्ञान नहीं मिल सकता -भागवताचार्य पण्डित महानन्द मैठाणी




भानु प्रकाश नेगी,किमोली गांव,चमोली
जनपद चमोली के कर्णप्रयाग ब्लाक कपरी पट्टी के किमोली गांव में डिम्मर गांव निवासी शिव प्रसाद डिमरी द्वारा आयोजित विष्णु पुराण के पांचवे दिन भागवताचार्य पण्डित महानन्द मैठाणी ने राजा जड़ भरत समेत अनेक कथाओं का सुन्दर वाचन किया।
भागवत कथा के दौरान उन्होंने कहा कि मृत्यु के देवता यमराज ने कहा कि भगवान विष्णु के गुणानुवाद,भजन करने वाले भक्तों को मैं भी दण्डित नहीं कर सकता हूॅं,क्योंकि उनको दण्ड देने का अधिकार सिर्फ भगवान विष्णु को है। क्योंकि यमराज के गुरू भगवान विष्णु है और गुरू के प्रिय शिष्यों को दंण्डित नहीं किया जा सकता है। कथा व्यास ने कहा कि वही राजा भरत ने राजा रोहगुण के अभिमान को चूर कर दिया था। राजा होने के अभिमान में वह योगी को नहीं पहचान पा रहा था तब जड़भरत ने बेद गर्वित भाषा में दृष्ठांन्त दिया। बेदांत के चौदह अध्यायों का प्रतिपादन किया तो राजा रोहगुण अपने मार्ग से विचलित हो गया था। तब उन्होनें बताया किया भक्ति के दो मार्ग है,ज्ञान मार्ग व सेवा मार्ग जिसमें ज्ञानमार्ग कठिन है और सेवा मार्ग सरल है। पहले सरल मार्ग पर चलना चाहिऐ क्योंकि सेवा मार्ग पर चलने वाले को ही ज्ञान शोभा देता है। जो सेवक नहीं है वह ज्ञार्नाजन का अधिकारी नहीं है।
संगीतमय कथा के दौरान अनेक सुन्दर भजनों पर सैकडों की संख्या में पंहुचे भक्तों ने जमकर नृत्य किया।