माताश्री राजेश्वरी की पावन जयंती मातृशक्ति दिवस पर आयोजित जनकल्याण समारोह में गूंजा “जय बद्रीविशाल बोला जय बद्रीबिशाल गीत”
–जनकल्याण सत्संग समारोह में पहली बार सामिल हुआ चमोली जनपद के जनजातीय समाज का जत्था।
-लोक परम्परागत भेष-भूषा व नृत्य रहा जनकल्याण समारोह के आर्कषण का केन्द्र बिन्दु।
-ममता, करूणा वात्सल्य व प्रेम की प्रतिमूर्ति थी गुरूमाता राजेश्वरीःमाताश्री मंगला।
-दो दिवसीय जनकल्याण सत्संग में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब।
नई दिल्ली-गुरूमाता राजेश्वरी की पुण्य जयंती पर नई दिल्ली हंस लोक आश्रम में आयोजित दो दिवसीय जनकल्याण सत्संग समारोह का दिव्य आरती के साथ समापन्न हो गया है। कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रातःकाल 10 बजे से दिन में एक बजे तक गुरू चरणों व संतश्री भोले जी महाराज करूणामयी माता श्री मंगला जी हंस वंस श्री सांख्य जी महाराज के दर्शनों से सभी भक्तों को आर्शीवाद प्राप्त हुआ। इस दौरान अनेक भक्त जनों द्वारा शानदार भजनो की मधुर प्रस्तुती दी गई।
जनकल्याण सत्संग समारोह में चमोली जनपद के नीती माणा घाटी की भोटिया जनजातीय महिलाओं द्वारा परम्परागत भेष भूषा में दी गई शानदार नृत्य की प्रस्तुती मुख्य आर्कषण का केन्द्र बिन्दु बनी रही। गुरू दर्शनों के बाद देश विदेशे से पंहुचे हजारों भक्तों ने दिन का भोजन प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान देश के अनेक राज्यों से आये भक्तों ने अपने अपने प्रदेश की सांस्कृतिक झलके दिखकर सभी लोगों का खूब मनोरंजन किया।
जनकल्याण सत्संग के दौरान सभी भक्तों में सेवा व समर्पण का भाव दिखाई दिया। भक्त सेवा के लिए आतुर दिखे। कार्यक्रम की शांयकालीन संध्या में प्रसिद्व भजन गायक अनूप जलोटा व जय पाण्डे ने एक से बढ़कर एक शानदार भजन गाकर सभी भक्तों को भाव विभोर कर दिया। जनकल्याण समारोह को संम्बोधित करते हुऐ प्रसिद्व समाजसेवी व प्रख्यात उद्योगपति मनोज भार्गव ने कहा कि हम सब जानते है कि इस जन्म में हम जो भी कर्म करेंगे उसकी कमाई जरूर होगी। गीता में बताया गया है कि कमाई का रहस्य बहुत गूढ़ है। कौन सा कर्म करने से हमारी कमाई अच्छी होगी उसका फल अच्छा होगा,और किस कमाई से फल अच्छा नहीं होगी। लोग समझते है कि करनी का फल होता है जबकि गीता में बताया गया है कि, ना करनी का भी फल होता है। हमें अपने ऐसे कर्म करने चाहिऐ जिसका फायदा इस जन्म और अगले जन्म में भी हो। हम भगवान की बात नहीं मानते । संतो की भक्ति से सद्ज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान का स्थान हमारे सांसो में है। जो सबके हृदय में रमता है वो राम है और जो सबको आक्रर्षित करता है वो कृष्ण है।
जनकल्याण सत्संग के दौरान संत श्री राजा जी ने भक्तों को भगवान की भक्ति कर खुद के कल्याण करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से मीरा ने भगवान को पाने के लिए संासारिक माया मोह को त्याग दिया था। उसी प्रकार से हमें भी भक्ति का भाव अपने मन में उत्पन्न करना होगा।
कार्यक्रम में पहली बार उत्तराखंड के चमोली जनपद से पंहुचे लगभग 150 भोटिया जनजातीय महिला व पुरूषों की टोली आर्कषण का केन्द्र बनी रही। सत्संग कार्यक्रम के दौरान जय बद्रीविशाल बोला भजन पर जन जातीय महिलाओं ने परम्परागत भेष भूषा में नृत्य किया। इस परम्परागत नृत्य पर पांण्डाल में मौजूद हजारों भक्त मंत्रमुग्ध हो गये। वही जनजातीय समाज के टीम लीडर ग्राम प्रधान कागा गरपक व नीती माणा घाटी के युवा नेता पुष्कर सिंह राणा ने कहा कि यह हमारे लिए परम सौभाग्य की बात है कि हमें माता श्री मंगला जी व संत श्री भोले जी महाराज का आर्शीवाद प्राप्त हुआ है। जनकल्याण सत्संग समारोह में आकर उन्हें माताश्री के दिव्य प्रवचन सुनने को मिले है जिससें उनकी पूरी टीम धन्य हो गई है। उन्होंने ने ऐसे अमृतमयी वाणी को पहली बार सुना जिससे उनके मन मस्तिष्क में हंस फांउडेसन के प्रति अलग आदर व सम्मान बड़ा है। उन्होंने कहा कि हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि माता श्री मंगला जी व भोले जी महाराज का उनके जनजातीय समाज पर हमेशा आर्शीवाद बना रहेगा।
इस सत्संग कार्यक्रम के दौरान परम संत भोले जी महाराज ने अपने चिर परिचित अंदाज में भाव के भूखे है भगवान भजन गाकर भक्तों को आर्शीवाद दिया। जनकल्याण सत्संग समारोह के दौरान प्रख्यात आध्यत्मिक गुरू हंस फांउडेशन की संस्थापिका माताश्री मंगला ने अपने अमृतमयी बाणी से सभी भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जोशीमठ नीती घाटी में हमें बीते दिन जाने को मिला यह दिव्य स्थान बहुत ही पवित्र है। ऐसे स्थानों पर जाकर बड़ा आनन्द आता है जहां अभी भी प्रभु की लीला जीवंत देखने को मिलती है। माताओं के कार्य में वहां शक्ति देखने को मिलते है। क्योंकि वहां की महिला शक्ति बहुत कर्मठ व मेहनती है। जो दिन रात काम में रहती है। उन्होंने प्रख्यात प्रर्यावरण नेत्री गौरा देवी को याद करते हुऐ कहा कि आज से 50 साल पहले एक ऐसी महिला ने जन्म लिया था जिसने अपने अदम्य सहास,पर्यावरण प्रेम व कर्मनिष्ठा के आधार पर पर्यावरण को बचाने का संकल्प लिया था। जिसका फायदा अभी तक मैदानी क्षेत्रों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि माता राजेश्वरी की जयंती एक दिन मनाने व उनके लिए श्रद्धा सुमन चढ़ाना भर काफी नहीं है। उन्होनंे जन जन को भक्ति के लिए एक एक जन को रोपित किया । उनकी मेहनत, त्याग,बलिदान,को कम नहीं आंका जा सकता है। आज हमारी भावना इस स्तर पंहुच गई है कि हम भगवान की भक्ति को पैसे से तौलने लगे है। भगवान दानी है वह तोल भाव की बात नहीं करते। महापुरूष वर्तमान नहीं देखता वह आने वाले कल को व जीवन को संवार देता। उन्होंने सभी भक्तों को जीवन के सद्मार्ग पर चलने का आवाहन किया।
जन कल्याण सत्संग के दौरान 3 हजार से अधिक भक्तों को निःशुल्क चिकित्सा परामर्श व दवाईयों के वितरण के अलावा उचित भोजन, आने जाने व ठहरने की शानदार व्यवस्था रही। इस दौरान देश विदेश से पंहुचे अनेक महात्मा संत गायक कलाकार, व हजारों की संख्या में भक्तजन मौजूद रहे।
-भानु प्रकाश नेगी हिमवंत प्रदेश न्यूज,हंसलोक आश्रम नई दिल्ली।