कार्तिक स्वामी मंदिर में रोपवे व 250 वाहन पार्किंग की मांग श्री कार्तिकेय मंदिर समिति ने लिखा प्रधानमंत्री मोदी को पत्र




-भानु प्रकाश नेगी,कार्तिकेय स्वामी मंदिर रूद्रप्रयाग।

जनपद रूद्रप्रयाग में स्थित श्री कार्तिकेय स्वामी मंदिर में रोपवे की मांग को लेकर कार्तिकेय मंदिर समिति (पंजीकृत) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर रोपवे की मांग की है।
पूर्व मण्डल अध्यक्ष भाजपा रूद्रप्रयाग शुत्रध्न नेगी ने पत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से निवेदन किया है कि,कार्तिकेय धाम के बेस कैम्प कनकचौरी से कार्तिकेय मंदिर तक रोपवे निर्माण कार्य पर्यावरण की दृष्टि से उचित होगा। कनकचौरी से उपर सड़क निमार्ण जंगलों को नुकसान होने के साथ साथ पर्यावरण को नुकसान होगा वही रोपवे के निमार्ण से जंगल व पर्यावरण सुरक्षित होगा और श्रद्धालुओं को मंदिर तक पंहुचने में आसानी होगी। उन्होंने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी को अवगत कराया है कि कार्तिकेय धाम की बेस कैम्प कनकचौरी से अधिक दूरी के कारण अधिकांस यात्रियों को यात्रा के दौरान कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है जिससे कई बुजूर्ग व अस्वस्थ श्रद्धालु भगवान कार्तिकेय धाम तक नहीं पंहुच पाते है और उन्हें कार्तिकेय स्वामी जी के दिव्य दर्शन नहीं हो पाते है। इसलिए अतिशीध्र कार्तिकेय धाम में रोपवे बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने 250 वाहनों की छमता वाले वाहन पार्किंग की बेस कैम्प कनकचौरी में अति आवश्यकता है बीते वर्षाे में इस कार्य के लिए मुख्यमंत्रियों,सांसदो,विधायकों को अवगत कराया गया है लेकिन अभी वाहन पार्किग की सुविधा यहां नहीं हो पाई है। यहां आये श्ऱद्धालुओं को 5 से 6 किलोमीटर दूरी पर अपने वाहनों को सड़क के किनारे पार्किंग करना पड़ता है जिसके कारण जाम लग जाता है। उक्त दोनों कार्यो के लिए संबधितों का निर्देशित किया जाय।
आपको बता दंे कि,भगवान कार्तिकेय महादेव भोलेनाथ व माता पर्वती के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में जाने जाते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पिता से नाराज होकर वह इस क्रौच पर्वत में ध्यान मंग्न हो गये। भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति के रूप भी विख्यात है। साथ ही चमोली व रूद्रप्रयाग के 365 गांवों के ईष्ट देव व भूमियाल देवता है। दक्षिण भारत में इन्हें मुरगन स्वामी व सुब्रहमण्यम स्वामी के नाम से जाना जाता है। भगवान कार्तिकेय स्वामी मंदिर मंे दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत के हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए यहां आते है। यह दिव्य स्थल तीर्थाटन के अलावा पर्यटन का हब बना हुआ है। जहां स्वरोजगार की भारी संभावनायें बनी हुई है।

